अरे! परेशान क्यों हो गये......क्या सोच रहे हो....समझ नही आ रहा...........जरा दिमाग पर जोर डालों....यदि सही बता दिया तो मैं तुम्हें एक मीठी-मीठी....किस्सी दूँगा.....हा.....हा .....हा
मेरा नाम अंगद सिहँ है। मुझे सोना बहुत अच्छा लगता है...मुझे दोस्त बनाने का बहुत शोक है.....मैं बाहर घूमनें जाना चाहता हूँ पर अभी. लेटे लेटे मस्ती करता रहता हूँ.....वैसे कोई जोर से बोले तो मुझे अच्छा नही लगता....मैं जानता हूँ मेरा दोस्त आपके घर में रहता होगा....बिल्कुल मेरी तर्ह....हा...हा...हा View my complete profile
August 4, 2009 at 12:43 PM
papa ko